खुफिया एजेंसियां और देशवासी इस बात से पूरी तरह वाकिफ हो चुके हैं कि आज देश में जहां कहीं भी धमाके हो रहे हैं, वह आईएसआई की ही देन है। और ऐसा वह भारत को अस्थिर करने की साजिश के तहत कर रही है।
अंशुमान शुक्ला
पाकिस्तान भारत को अस्थिर करने की साजिश रच रहा है। इस साजिश को अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उसने अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई को दे रखी है। भारत में होने वाला हर धमाका सिर्फ और सिर्फ आईएसआई की ही देन है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय, देश की खुफिया एजेंसियां और देशवासी इस बात से बखूबी वाकिफ हैं। हिन्दुस्तान में अस्थिरता फैलाने के लिए आईएसआई ने अपनी रणनीति में परिवर्तन किया है।
चार बरस पहले तक देश में बम धमाकों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान अपने प्रशिक्षित नागरिकों को भारत भेजता था लेकिन अब उसने यह जिम्मेदारी सिमी को दे दी है। आईएसआई द्वारा सिमी को तवज्जो देने का ही नतीजा है कि उसने बनारस बम विस्फोट, हैदराबाद धमाकों, लखनऊ, फैजाबाद और बनारस के न्यायालय परिसर में विस्फोट, जयपुर धमाकों, बेंगलुरू और अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों में अहम भूमिका निभाई।
केन्द्रीय खुफिया एजेंसियों के पास आईएसआई से जुड़े जो ताजातरीन आंकड़े हैं उसमें इस बात का जिक्र है कि आईएसआई ने भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए जिन आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा, हरकत-उल-अंसार-उल-जेहादी, जश-ए-मोहम्मद को एक साथ सिमी की मदद से धमाकों को अंजाम देने को कहा है। खुफिया विभाग के पास मौजूद रिपोर्ट के मुताबिक सिमी के दो खेमे हो चुके हैं। पहले खेमे का नेतृत्व आजमगढ़ निवासी शाहिद बद्र फलाही के हाथों में है। वह सिमी को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और फिरकापरस्त ताकतों की मुखालफत का पक्षधर है जबकि दूसरे खेमे का नेतृत्व उज्जन निवासी सफदर हुसैन नागौरी के हाथों में है।
नागौरी फिरकापरस्त ताकतों को मदद पहुंचाने के लिए अपने खेमे के लोगों को समय-समय पर निर्देश देता रहा है। उसने देश के दस राज्यों में सिमी के 24 आतंकवादियों को सक्रिय कर रखा है जो फिलहाल पुलिस पकड़ से दूर है। सिमी की साजिश को संज्ञान में लेते हुए केन्द्र सरकार ने विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1967-37 की धारा तीन की उपधारा के तहत पहली बार 2001 को प्रतिबंध लगाया था। उसके बाद इसी धारा के तहत वर्ष 2003 और वर्ष 2008 में इस प्रतिबंध को लगाया गया। बावजूद इसके केन्द्र सरकार की यह पहल कागजी कार्रवाई ही बन कर रह गई। देश के ज्यादातर राज्यों में सिमी आज भी सक्रिय है। यह बात अब साफ हो चुकी है।
अब आईएसआई ने आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए लगने वाले धन की व्यवस्था करने के लिए भारत में नकली नोटों का व्यापार शुरू कर दिया है। सेन्ट्रल डिपार्टमेंट इंटेलीजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर वर्ष पांच से सात करोड़ रुपए की नकली मुद्रा बरामद की जाती है। अक्टूबर 2007 में ऐसे नोटों की बरामदगी की संख्या दस करोड़ के करीब पहुंच गई थी। इन दस करोड़ नकली नोटों में से दो करोड़ 31 लाख रुपए देश के विभिन्न बैंकों से बरामद हुए थे। दस्तावेजों में इस बात का जिक्र किया गया है कि आईएसआई नकली नोट कराची, पेशावर, लाहौर और क्वेटा से छपवाती है, जिसमें मलीर कैंट कराची के छापेखाने में छपने वाले नकली नोटों की गुणवत्ता सबसे अच्छी है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आईएसआई पाकिस्तान में नकली भारतीय नोट छापकर उसे काठमाण्डू, ढाका, बैंकाक, क्वालालाम्पुर और सिंगापुर के रास्ते भारत में भेजती है। इन नोटों को पाकिस्तान से ले जाने के लिए तस्कर कराची, काठमाण्डू सेक्टर में कतर एयरवेज, दुबई-काठमाण्डू सेक्टर में रायल नेपाल एयरवेज, बैंकाक-काठमाण्डू सेक्टर और कराची-ढाका काठमाण्डू सेक्टर के लिए रायल नेपाल और विमान एयरलाइन्स का सहारा लेते हैं। साथ ही समझौता एक्सप्रेस, थार एक्सप्रेस व दिल्ली लाहौर बस सेवा से भी कभी-कभार नकली नोटों की खेप भारत लाई जाती है। हमारे पैसों और हमारे ही आदमियों के बल पर देश के विभिन्न प्रदेशों में बम धमाकों को अंजाम दे रही आईएसआई की इस साजिश की जानकारी होने के बाद भी देश की खुफिया एजेंसियां उससे निपट पाने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही हैं।
खुफिया एजेंसियों की ये नाकामी धमाकों की शक्ल में सामने आ रही है। आतंकवादियों के बारूद के ढेर पर बैठे देश के ज्यादातर प्रदेशों में वहीं के लोग सिमी के कार्यकर्ताओं की शक्ल में बम रख रहे हैं। हर धमाके के कुछ दिनों के बाद उसे भूला देने की सुस्ती अगले धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों की चीख-पुकार के साथ टूटती है और उनके रोने की आवाज मंद पड़ने के साथ ही जांच की सुस्त रफ्तार के साथ थम जाती है। क्योंकि बिना नाम और पते के दावे के साथ स्लीपर सेल की संख्या की बात नहीं की जा सकती। और यदि ऐसा है तो उन्हें गिरफ्तार कर देश में फैलाए गए आईएसआई के संजाल को तोड़ने की कोशिश क्यों नहीं की जा रही है? यह आम हिन्दुस्तानी की समझ से परे है।
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