Sunday, August 7, 2016

ये जोगी के उम्मीदों की लांचिंग है

छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी ने नई पार्टी बनाकर कांग्रेस और भाजपा दोनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नई पार्टी के अपने-अपने आंकलन होते हैं, लेकिन जोगी की पार्टी जिस अंदाज में मैदान में उतरी है, वह बता रही है कि जंग जारी रहेगी। चाहे वह सरकार के खिलाफ हो या फिर कांग्रेस संगठन के खिलाफ। आज जोगी की पार्टी का थीम सांग लांच किया गया। यह गीत जोगी के उस सपनों की लांचिंग है, उस उम्मीद की लांचिंग है, जिसका परिणाम 2018 के विधानसभा चुनाव में सामने आएगा। छत्तीसगढ़ की राजनीति के जानकारों की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की राजनीति काफी आक्रामक रही है। उनको जोड़ने, तोड़ने और फोड़ने का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। लेकिन सत्ता से 13 साल दूर रहने के बाद जब जोगी नई पार्टी के साथ मैदान में उतरे हैं, तो उनके कदम बेहद सधे हुए हैं। जोगी जब थीम सांग की लांचिंग कर रहे थे, तो पत्रकारों का अधिकांश समूह यही चर्चा कर रहा था कि ये जोगी की स्टाइल नहीं है। उम्मीद, सपने और सौम्य अंदाज में पेश आही राज, जनता कांग्रेस के आही राज थीम सांग को सुनकर अधिकांश लोग यही कह रहे थे कि अब जोगी की सोच में बदलाव आया है। कहा जा रहा है कि जोगी अब जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं, जो उनके स्वभाव और कार्यशैली से काफी अलग है। जोगी को जानने वाले नेताओं का तो यहां तक कहना है कि साहब ने अपने काम के तरीके में पिछले छह महीने में जोरदार बदलाव किया है। अब वो भी 14 से 16 घंटे काम कर रहे हैं। बंद कमरे में उनके रणनीतिकार देर रात तक मंथन करते हैं और एक-एक कैंपेन को प्लान कर रहे हैं। जोगी के करीबी नेताओं की मानें तो जोगी ने नई पार्टी के गठन की शुस्र्आत फरवरी से ही शुरू कर दी थी। उसी समय उनको अंदाजा लग गया था कि अब अलग चलने में ही वजूद बचेगा। अब जोगी छत्तीसगढ़ में अपने वजूद की आखिरी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में है। यही कारण है कि धरना और आंदोलन में किसी युवा नेता की तरह सड़क पर उतर जा रहे हैं। कहीं भी कंबल बिछाकर सड़क पर लेट जा रहे हैं। यह सब जोगी के रणनीतिकारों की सधी हुई और मीडिया को आकष्र्ाित करने की रणनीति का हिस्सा है। यह सच है कि जोगी की पार्टी में चेहरा भी अजीत जोगी है, कानून भी अजीत जोगी है और सरकार भी अजीत जोगी है। ऐसे में इसी चेहरे को 2018 तक इतना मजबूत करने की कोशिश की जा रही है कि कांग्रेस के नेताओं का कद उनके सामने टिक न पाए और अगर सरकार विरोधी लहर का फायदा उठाने का मौका मिले तो वह जोगी कैंप की झोली में गिरे।