Tuesday, June 7, 2011

सुराज के बगैर स्वराज

पहले तय किया विकास का एजेंडा, फिर अमल
बिना शासन-प्रशासन की मदद से बदली गांव की पहचान
बिलासपुर जिले के थाना तखतपुर का झगडालू गांव था मोछ
विकास समझौता करने वाली देश की पहली पंचायत


राज्य सरकार के सुराज अभियान का प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर लगातार विरोध हुआ। ग्रामीणों का आरोप था कि सुराज में शासन-प्रशासन ने जो वादे किए, उसमें से अधिकांश पूरे नहीं हुए। वहीं, बिलासपुर जिले के विकासखंड तखतपुर के एक गांव मोछ में ग्रामीणों ने स्वयं विकास का एजेंडा तय किया और गांव की तकदीर बदल दी। झगडालू गांव में शामिल मोछ विकास समझौता लागू करने वाला देश का पहला गांव है। अब वहां विकास के घोषणा पत्र पर अमल कर नई इबारत लिखी जा रही है।

यहां पंचायत चुनाव से पहले विकास का एजेंडा तय किया गया था। एक साल बाद उसमें से ८० फीसदी काम पूरा कर लिया गया है। सरपंच रामेश्वरी धुर्वें ने बताया कि इस काम में शासन-प्रशासन की ओर से कोई खास मदद नहीं की गई। पंचायत चुनाव के समय ग्रामीणों ने मिलकर गांव के विकास का एजेंडा तय किया। चुनाव के बाद जीतकर आए जनप्रतिनिधियों ने गांव के विकास की प्राथमिकता को पंचायत भवन के सामने लिख दिया। इसके आधार पर गांव के विकास की योजना बनाई गई। इसमें सूचना का अधिकार पर काम करने वाली संस्था ट्रांसपेरेंंसी इडिया इंटरनेशनल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

क्या है विकास का घोषण पत्र
पंचायत चुनाव से पहले मोछ के सभी १९ वार्डों की समस्याएं तय की गई। इन समस्याओं को पूरा करने वाले उम्मीदवार को चुनने के लिए एक घोषणा पत्र तैयार किया गया। घोषण पत्र की समस्याओं को पंचातय भवन के सामने लिखा गया। जो भी काम पूरा होता गया, उसके आगे सही का निशान लगाया गया। पंचायत ने उन्हीं कार्यों को प्राथमिकता दी, जो विकास घोषणा पत्र में शामिल थी।

झगडालुओं से वसूले ४० हजार
विकास घोषणा पत्र में पंचायत में शराबबंदी की बात कही गई थी। सभी ने मिलकर गांव में शराबबंदी कराई। शांति भंग करने वालों पर जुर्माना तय किया गया। अब तक पंचायत ने ४० हजार से ज्यादा का जुर्माना वसूल लिया है। इस पैसे का इस्तेमाल गांव के विकास के लिए किया जा रहा है।


वर्जन
गांव में विकास का घोषणा पत्र लागू करने के लिए ट्रांसपेरेंंसी इडिया इंटरनेशनल के कार्यकर्ताओं ने एक साल से ज्यादा समय तक मेहनत की। इसका परिणाम रहा कि गांव में पंचायत चुनाव में १९ वार्डों में से १४ वार्डों में सूचना का अधिकार कार्यकर्ताओं की जीत हुई। अब वे विकास के एजेंडे पर काम कर रहे हैं।
प्रतीक पांडेय, आरटीआई कार्यकर्ता