Monday, February 27, 2017

डिफरेंट एंगल-27 फरवरी 2017

आध्यात्म से कैसे दूर होगा भ्रष्टाचार विधानसभा में श्रीश्री रविशंकर महाराज का प्रवचन था। एक पत्रकार साथी ने सवाल किया कि बाबा आध्यात्म से क्या भ्रष्टाचार को दूर किया जा सकता है। बाबा का जवाब था, आध्यात्म अंदर से तृप्ति पैदा करता है। जब व्यक्ति तृप्त हो जाएगा, तो संतुष्टी आ जाएगी और भ्रष्टाचार अपने आप दूर हो जाएगा। गुस्र्जी यह कहने से नहीं चूके कि इसका मतलब यह नहीं है कि दरिद्रता ही आध्यात्म है। आध्यात्म की बात करे तो बन जाते हैं सांप्रदायिक विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि बाबा जब हम लोग आध्यात्म, ज्ञान, ध्यान की बात करते हैं, तो विरोधी सांप्रदायिक बता देते हैं। इसका उपाय क्या है। बाबा ने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप लगाना तो आप लोगों का धर्म है। लगाते रहो। लेकिन आध्यात्म को मानों। विरोधियों को तो कुछ भी कहोगे, वो पलटवार तो करेंगे ही। सोचों, क्यों कम हो रहा नेताओं का गौरव श्रीश्री ने कहा कि नेताओं का गौरव कम हो रहा है। इसके बारे में सोचने की जरूरत है। तमिलनाडु की एक घटना का जिक्र किया और कहा कि एक कार्यक्रम में दो मंत्रियों को आना था। जब स्टेज से यह सूचना दी गई कि दोनों मंत्री नहीं आ रहे हैं, तो जमकर ताली बजी। अब नेताओं को सोचना चाहिए। देर से पहुंचे भूपेश तो कुर्सी के लिए खड़े रहे श्रीश्री के कार्यक्रम में भूपेश बघेल देर से पहुंचे। पहले तो वह अपनी सीट को खोजते रहे। जब नहीं मिली तो आगे से तीसरी लाइन में बैठे नेताजी को बोले, जगह खाली करो। किनारे की सीट पर बैठे और आखिरी तक श्रीश्री का प्रवचन सुने। उन्होंने योग कराया तो उसे भी किया, लेकिन बाहर निकलते ही कहा-श्रीश्री भाजपा के एजेंट हो गए हैं, इसलिए अब मैं इनको नहीं मानता। हमारे डीएनए में निष्ठा है बिहार चुनाव में पीएम मोदी ने डीएनए का जिक्र किया तो बवाल मच गया था। अब श्रीश्री ने डीएनए का जिक्र किया। शालिन तरीके से गुस्र्देव ने कहा कि हमारे डीएनए में निष्ठा है। यह निष्ठा खोने की कगार पर पहुंच गई है, इसलिए इसे बचाने की जरूरत है। जरा सोचिए गंभीर बात को बड़ी शालिनता से गुस्र्देव ने कहा, न कोई विवाद हुआ, न किसी ने विरोध किया। सबको कर्मयोगी चाहिए, लेकिन खुद कर्मयोगी क्यों नहीं बनते गुस्र्देव ने कहा कि सभी आदमी को कर्मयोगी चाहिए। ड्राइवर, पीए, सेके्रटरी सब कर्मयोगी होना चाहिए, लेकिन खुद कितने कर्मयोगी है, इसके बारे में नहीं सोचते। जब बाबा यह बात बोल रहे थ्ो, तो विधायक एक दूसरे को निहार रहे थे। पांच साल में एक बार जाते हो जनता के बीच गुस्र्देव ने कहा कि विधायक कम से कम पांच साल में एक बार तो क्षेत्र में जाते ही हैं। जब वे ऐसा कह रहे थे तो कई विधायक सदमे में आ गए कि आखिरी इनको कैसे पता, पांच साल में हम लोग एक बार ही जाते हैं। बाहर निकलने पर एक विधायक ने कहा कि लगता है गुस्र्देव सबके बारे में जानते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो वे कैसे डंके की चोट पर बोल सकते हैं कि पांच साल में एक बार ही हमलोग विधानसभा में जाते हैं। शराब वाले को पूछने दो श्रीश्री से जब सवाल पूछने की बारी आई तो विधायक विमल चोपड़ा खड़े तो हुए लेकिन उनके पास माइक नहीं पहुंच रही थी। इतने में एक मंत्री ने कहा कि अरे भाई, शराब वाले को पूछने दो। विमल ने पूछा कि क्या नशाबंदी के लिए जनजागरण जरूरी है या फिर नशे पर रोक। श्रीश्री ने कहा दोनों साथ-साथ चलना चाहिए। विमल कुर्ते पर शराब की बोतल बनवाकर पहुंचे थे, तो एक मंत्री ने कमेंट किया। नीचे चखने की प्लेट होती तो और मजा आ जाता।