Wednesday, August 13, 2008

पहले राज्यपाल हटाएं, फिर आगे की बात

सीतेश द्विवेदी

अमरनाथ संघर्ष समिति और सरकार के बीच बात बनती नजर नहीं आ रही है। समिति के अध्यक्ष लीलाकरण शर्मा का कहना है कि सरकार हमारे पास बिना किसी तैयारी के आई, ऐसे में वार्ता से कोई उम्मीद बेमानी है। शर्मा ने कहा कि सरकार पहले कोई मसौदा रखे, जिस पर बात की जा सके।
उन्होंने कहा कि गृहमंत्री शिवराज पाटिल शांति और बातचीत की अपील कर रहें हैं लेकिन वह
किन मुद्दों पर होगी और सरकार हमारी मांगों के बारे में क्या सोचती है, इसे जाने बिना कुछ भी कह पाना मुमकिन नहीं है।

उन्होंने कहा कि सरकार से वार्ता को लेकर सोमवार को समिति की एक बैठक हो रही है। इसमें हम तय करेंगे कि आगे क्या करना है। शर्मा के मुताबिक समिति ने अपना पक्ष और अपनी मांग सरकार के सामने रख दिया है। उन्हें अब सरकार की पहल का इंतजार है। उन्होंने पीडीपी और कश्मीर के नेताओं के उस बयान को भ्रामक बताया जिसमें कहा गया है कि जम्मू में आंदोलन के चलते घाटी की रसद आपूíत रुक गई है। वे कहते हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग खुला हुआ है और आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही निर्बाध रूप से जारी है।

पाटिल के दोनों पक्ष को स्वीकार्य प्रस्ताव रखने और पहले के फैसलों को खारिज करने वाले बयान के बारे में शर्मा ने कहा कि उन्हें ऐसी जानकारी नहीं है और जब तक समिति को लिखित प्रस्ताव नहीं मिलता, वे आधिकारिक रूप से कुछ कहने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पहली मांग राज्यपाल को हटाने की है। वे कहते हैं, दरअसल सारी स्थितियों को बदतर बनाने में राज्यपाल की अहम भूमिका है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड से जमीन वापस लेने के बाद जब जम्मू में शांतिपूर्ण विरोध शुरू हुआ तो उन्होंने पुलिस दमन का सहारा लिया। इससे पहले से आहत लोगों का गुस्सा और भड़क गया।

शर्मा कहते हैं कि एनएन वोहरा राज्य के पहले ऐसे राज्यपाल हैं जिनके खिलाफ जम्मू में इतना विरोध हुआ है। इससे पहले जब भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा, जम्मू में कभी ऐसी प्रतिक्रिया नहीं हुई।
शर्मा आरोप लगाते हैं कि केंद्र सरकार और राज्यपाल ने अलगाववादियों के सामने समर्पण कर दिया है। आंदोलन के पीछे भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ होने वाले पीडीपी और कांग्रेस के
बयानों को शर्मा ने आंदोलन को बदनाम करने की साजिश करार दिया। उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या राज्य के सारे सरकारी संगठन, चिकित्सा संगठन और आंदोलन का समर्थन कर रहे कांग्रेसी विधायक भी आरएसएस के लोग हैं?


उन्होंने कहा कि यह आंदोलन जम्मू के लोगों का है और इसे राज्य के तमाम सरकारी-गैर सरकारी संगठनों का समर्थन प्राप्त है। पीडीपी और घाटी के अलगाववादी नेताओं के नेतृत्व में फल
के व्यापारियों के मुजफ्फराबाद कूच को उन्होंने 'ब्लेकमेलिंगज् की राजनीति करार दिया और कहा कि वे न तो वहां जा सकते हैं, न जाएंगे। शर्मा कहते हैं, 'वैसे अगर उनकी खुशी है तो उन्हें जाना चाहिए, मुजफ्फराबाद वैसे भी हमारा ही इलाका है।

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