Tuesday, February 5, 2008

राज ठाकरे के निशाने पर महानायक...

उत्तर भारतीयों को निशाना बनाने की बात अब खबरिया चैनलों के टीकर लायक हो गई है. राज भी इससे इत्तेफाक रखते होंगे. काफी सोच विचार के बाद उनके मन में आया कि क्यों न इस बार कुछ अलग किया जाए जिसकी ठसक थोड़ी जोरदार हो. ऐसा नहीं की फुलझड़ी की माफिक फुसफुसा कर रह जाए.

बस क्या था सदी के महानायक पर हल्ला बोल दिया. अमिताभ महाराष्ट्र से ज्यादा यूपी का ख्याल करते हैं. वहां बहू के नाम पर कॉलेज खोला. भोजपुरी फिल्मों में काम करते हैं. यूपी के ब्रांड एम्बैसडर हैं. वगैरह वगैरह.

राज को मालूम था कि अमित भैया पर हमला बोला तो इसकी प्रतिक्रिया जल्द मिलेगी. अमिताभ जिस दल के साथ उठते बैठते हैं उसका संस्कार भी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से इतर नहीं है. सबकुछ वैसे ही हुआ जैसा राज का प्लान था. सपाइयों ने तुरंत जवाबी हमला बोला. नारा लगाने लगे, ईंट का जवाब पत्थर से देंगे.

राज के घर के सामने रैली की. रही सही कसर जया भाभी ने यह कहकर पूरी कर दी कि वह बाल ठाकरे और उद्धव ठाकरे के अलावा और किसी ठाकरे को नहीं जानतीं.

बस क्या था एमएनएस कार्यकर्ता भड़क उठे. सपाइयों से सीधे भिड़ने के बजाय गरीब मजबूर उत्तर भारतीयों को ठोंकने लगे. कारें तोड़ी. मन नहीं भरा तो सिर भी फोड़ डाले. खोमचे पलट दिए. और तो और मुंबई की लाइफलाइन लोकल ट्रेनों में चल रहे यात्रियों को नाम पूछ-पूछ कर मारा.

सबकुछ चलता रहा. खबरिया चैनलों को मसाला मिल गया. नेताओं को प्रतिक्रिया देने का मौका. लेकिन यहां भी राजनीति. मराठी वोट बैंक खिसकने के डर से महाराष्ट्र के ज्यादातर दलों ने चुप्पी मार दी. आम लोग पिटते रहे.

सबसे ताज्जुब की बात है कि इस मुद्दे पर बिगबी की अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. उन्होंने इस आग को ठंडा करने के लिए भी कुछ कहने की जहमत नहीं उठाई. उठाएं भी क्यों. ठंड से उनका गला खराब है और छोटे भैया अमर सिंह तो मोर्चा संभाले ही हुए हैं.


अजय श्रीवास्तव

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