राजस्थान के दौसा जिले में 3 प्राइवेट अस्पतालों द्वारा 226 महिलाओं की बच्चेदानी निकाल देने का मामला सामने आया है। इस काम के बदले इन अस्पतालों ने मोटा पैसा कमाया और हर मरीज से 14 हजार रुपए ऐंठे। एक एनजीओ की ओर से दाखिल आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है।
इन प्राइवेट अस्पतालों को सरकारी स्कीम ' जननी सुरक्षा योजना ' के तहत डिलिवरी कराने की मान्यता मिली हुई है। इस बात का खुलासा होने के बाद जिला प्रशासन ने जांच के लिए दौसा के चीफ मेडिकल ऑफिसर ओ.पी. मीणा की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय समिति का गठन किया है।
आरटीआई से जानकारी मिलने के बाद एनजीओ अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के जनरल सेक्रेटरी दुर्गा प्रसाद ने बताया कि 3 अस्पतालों ने पिछले साल मार्च से सितंबर में इलाज के लिए आईं 385 महिला मरीजों में से 226 औरतों की बच्चेदानी निकाल दी।
दुर्गा के बताया कि बिना जरूरत के इतनी बड़ी संख्या में बच्चेदानियां निकाली गई है। दुर्गा ने कहा, ' पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल जाने का डर दिखाकर अस्पताल मरीज को इस काम के लिए मना लेते थे और इसके लिए वे 12 हजार से 14 हजार रुपए तक ऐंठते थे'।
जांच समिति के अध्यक्ष मीणा ने कहा, ' अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि डॉक्टरों ने यह काम पैसे कमाने के चक्कर में किया और बिना इंफेक्शन के बच्चेदानी निकाल दी। सच्चाई पता करने के लिए मेडिकल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट को इकट्ठा किया जा रहा है। हमने 5 अस्पतालों के रिकॉर्ड जब्त कर लिए हैं। महिलाओं और डॉक्टरों से पूछताछ की जा रही है'।
एक पीडित महिला ने बताया, ' मेरे पेट में दर्द था। डॉक्टरों ने मेरी बच्चेदानी निकाल दी लेकिन फिर भी दर्द नहीं गया। फिर जब मैं जयपुर गई तो वहां पता चला कि बच्चेदानी निकालने की कोई जरूरत नहीं थी'। एक अन्य महिला ने बताया, ' डॉक्टरों ने मुझसे कहा कि अगर मेरी बच्चेदानी नहीं निकाली गई तो मेरी जान चली जाएगी इसलिए मैंने बच्चेदानी निकलवा दी। इस पर करीब 15 हजार रुपए खर्च हुए लेकिन मेरी बीमारी अभी भी वैसी ही है'।
जोधपुर में कुछ दिन पहले ही खराब ग्लूकोज चढ़ाने की वजह से 17 गर्भवती महिलाओं की मौत हो गई थी।
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