Saturday, May 30, 2009

एक संस्कृतिविहीन सरकार का सच

साहित्य संगीत कलाविहीन: साक्षात पशु पुच्छ विशाणहीन:

मंत्री पद के लिए घटक दलों की राजनीतिक खींचतान और कांग्रेस पार्टी के अंदर संतुलन बनाए रखने के प्रयास में मनमोहन सिंह सरकार ने पिछले दो दशक से काम कर रहे एक महत्वपूर्ण मंत्रालय की बलि दे दी, जिसकी वजह से अब देश में सरकारी स्तर पर संस्कृति और कला का कोई पुरसाहाल नहीं है।

राष्ट्रपति भवन से जारी मंत्रियों और उनके विभागों की आधिकारिक विस्तृत सूची में संस्कृति मंत्रालय का उल्लेख नहीं है, जबकि पिछली सरकार में इसे कैबिनेट स्तर का मंत्रालय माना गया था और अंबिका सोनी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। संस्कृति मंत्रालय के तहत पचास से अधिक संगठन काम करते हैं, जिनमें देश के सभी प्रमुख पुस्तकालय, गांधी स्मृति, नेहरू स्मारक, सालारजंग, रजा और खुदाबख्श लाइब्रेरी, राष्ट्रीय अभिलेखागार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, राष्ट्रीय संग्रहालय और राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय शामिल हैं।

मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में कुल 79 सदस्य हैं, पर इस मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी किसी को नहीं सौंपा गया है। संस्कृति विभाग 1986 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत था, पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संस्कृति पर विशेष जोर देने के लिए इसे अलग मंत्रालय बनाया। उस समय पीवी नरसिंह राव मानव संसाधन विकास मंत्री थे और संस्कृति विभाग अलग होने के बाद भास्कर घोष पहले संस्कृति सचिव बने। इसी मंत्रालय ने दुनिया के कई देशों में भारत उत्सव का आयोजन किया। इसी के तहत सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक कें्र बनाए गए ताकि देश में सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा दिया जा सके।

कला और संस्कृति के हर स्वरूप और विधा प्रोत्साहित और प्रचारित करने की जिम्मेदारी संस्कृति मंत्रालय की है। इसके अंतर्गत एशियाटिक सोसायटी, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, ललित कला अकादमी और इंदिरा गांधी कला कें्र भी आते हैं, जो स्वायत्तशासी संगठन हैं। मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि एक दिन पहले तक अंबिका सोनी उनकी मंत्री थीं, पर अब उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है कि इसका काम कौन देखेगा।

यह पूछे जाने पर कि क्या यह राजनीतिक जोड़-तोड़ के बीच हुई चूक है, प्रधानमंत्री की सूचना सलाहकार दीपक संधू ने कहा कि मंत्रिपरिषद का गठन काफी सोच विचार के बाद किया जाता है, इसलिए ऐसी चूक नहीं हो सकती कि किसी मंत्रालय का नाम छूट जाए। उन्होंने कहा कि जो भी मंत्रालय या विभाग किसी को आवंटित नहीं है, उसे प्रधानमंत्री के अधीन माना जाता है।

आज समाज से सभार

1 comment:

karuna said...

म्रगेन्द्र जी ,
आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा कि आप देश और देश में हो रही हलचल को बड़ी पैनी द्रष्टि से देखते हैं ,यह देश प्रेम ही है ,जो इस रूप में सामने आ रहा है ,आपकी जागरूकता काबिलेतारीफ है |