Tuesday, November 18, 2008

आसान राह में कुछ कांटे भी

मृगेंद्र पांडेय

छत्तीसगढ़ के चुनावी समर का परिणाम आठ दिसंबर को आ जाएगा। बैनर, पोस्टर और चुनावी दावों वाले नारों का शोर थम जाएगा। जनता कांग्रेस के ‘हाथज् बागडोर सौंपेगी या फिर भगवा लहराएगा, यह सब तय हो जाएगा। इसे तय करने की जद्दोजहद में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल सारे हथकंडे अपना रहीं हैं। यही कारण है कि दोनों दलों ने उन नेताओं को चुनावी अखाड़े मे उतारने में कोई संकोच नहीं किया, जिन पर पार्टी की नैया पार लगाने की आस टिकी हुई है।


कांग्रेस ने जहां पिछले चुनाव की हार का बदला लेने के लिए बड़ी संख्या में नेताओं के बेटे-बेटियों को टिकट दिया, वहीं इसमें भाजपा भी पीछे नहीं रही। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार अजीत जोगी को मरवाही से मैदान में उतारकर यह संकेत देने की कोशिश भी की कि वह एक-एक सीट को लेकर गंभीर है। हालांकि जोगी को लेकर क्षेत्र की जनता में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है। मरवाही के लोगों का मानना है कि पिछली बार जब जोगी यहां से जीतकर गए, उसके बाद से क्षेत्र में आए ही नहीं। मरवाही में एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो जोगी की जातिवादी नेता की छवि से भी नाराज है। उनका कहना है कि जोगी सिर्फ सतनामी समाज के लोगों को बढ़ाने का काम करते हैं। जनता में इस तरह की भावना जोगी के लिए मुश्किल तो खड़ी कर सकती हैं, लेकिन जोगी का करिश्माई व्यक्तितव इससे निपटने में कारगर है। कांग्रेस के दिग्गज सत्यनारायण शर्मा को भी कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सत्यनारायण से क्षेत्र की जनता उतनी नाराज नहीं है, जितनी जोगी से लेकिन भाजपा ने चंद्रशेखर साहू को उनके खिलाफ उतारकर मुश्किलें पैदा कर दी हैं। ऐसा माना जाता है कि रायपुर ग्रामीण विधानसभा में साहू मतदाताओं की अच्छी खासी तादात है और चंद्रशेखर उनकी पहली पसंद हो सकते हैं। यहीं हाल अमितेश शुक्ल, रविंद्र चौबे और प्रीति नेताम का भी है। प्रीति के खिलाफ प्रचार कर रहे लोगों ने बाहरी होने की बात कहकर मतदाताओं को एकजुट करने का प्रयास किया है। अगर प्रीति इसे सुलााने में सफल नहीं होती हैं, तो उनके लिए मुश्किल हो सकती है।


ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के दिग्गज ही मुश्किल में हैं। भाजपा के रमन सिंह पर लगातार क्षेत्र बदलने का आरोप लगता रहा है। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर जोर शोर से प्रचार कर रही है। रमन की साफ स्वच्छ छवि उनके लिए फायदेमंद है, लेकिन उनके मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप उनके लिए मुश्किल खड़ा कर सकते हैं। अमर अग्रवाल की बिलासपुर विधानसभा में परिसीमन के बाद कुछ क्षेत्र ऐसे जुड़ गए हैं, जिसके कारण उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। पर्यटन मंत्री और रायपुर शहर से लगातार विधायक रहे बृजमोहन अग्रवाल इस बार अपनी सीट आसानी से निकालने में सफल हो सकते हैं। इसके पीछे उनकी प्रभावी छवि और क्षेत्र में विकास तो हैं ही, साथ ही कांग्रेस की ओर से कमजोर उम्मीदवार उतरना भी उतना ही जिम्मेदार है। कांग्रेस ने उनके खिलाफ युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष योगेश तिवारी को मैदान में उतारा है।


कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के दिग्गज जनता के रुख को भांपकर अपनी रणनीति बनाते हैं तो उनकी सीटें निकलना आसान होगा। बश्र्ते वे जनता के रुख को भांप पाएं।

No comments: