Friday, November 14, 2008

दस फीसद भी एक गनीमत

छत्तीसगढ़ में महिलाओं को दुबारा मुंह की खानी पड़ी। गनीमत यह है कि दोनों प्रमुख पार्टियों ने दस फीसद सीटें महिलाओं को दीं और ऐसा इत्मीनान जताया जसे कोई बड़ा काम कर दिया हो। युवा भी मुंह ताकते रहे। राजनीति की तर्ज 'ओल्ड इज गोल्डज् की रही।

मृगेंद्र पांडेय

महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की बात करने वाले राजनीतिक दलों ने छत्तीसगढ़ में मानों उनके साथ पक्षपात ही किया हो। दो बड़े राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा ने प्रदेश में मात्र दस-दस महिला उम्मीदवारों पर भरोसा जताया। बसपा और अन्य दलों में भी महिलाओं का अनुपात कम ही रहा। दोनों ही दलों ने उन महिलाओं को ही टिकट दिया हैं, जो या तो किसी बड़े नेता के परिवार से हैं या फिर पहले से विधायक। इन पैमानों के इतर पार्टी ने जिन महिला उम्मीदवारों पर विश्वास जताया है, उनके बारे में ऐसा माना जा रहा है कि वे इन सीटों पर पार्टी की जीत दर्ज कराएंगी। कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी रेणू जोगी को कोटा सीट से मैदान में उतारा है तो भाजपा ने राष्ट्रीय सचिव सरोज पांडेय को वैशालीनगर सीट पर उम्मीदवार बनाया है।

महिला और युवा उम्मीदवारों के बीच रोचक टक्कर इस सीट पर देखने को मिल रही है जहां कांग्रेस ने सरोज पांडेय के खिलाफ युवा नेता बृजमोहन सिंह को मैदान में उतारा है। कांग्रेस जहां गंगा पोटोई, गीतादेवी सिंह, प्रतिभा चंद्राकर, पदमा मनहर जसे प्रभावशाली नेताओं को मैदान में उतार है। तो भाजपा भी इनसे पीछे नहीं है। भाजपा ने भागवा परचम लहराने के लिए सरोज पांडेय, लता उसेंडी, जमुनादेवी सिंह, पिंकी शाह पर विश्वास जताया है। कई सीटों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। डोडीलोहरा से भाजपा की नीलम टेकाम को कांग्रेस की अनीता कुमेटी कड़ी टक्कर दे रहीं हैं। वहीं कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व गृह मंत्री नंद कुमार पटेल के मुकाबले भाजपा ने खरसिया सीट पर लक्ष्मी पटेल को टिकट देकर सबको सकते में डाल दिया है। इस सीट पर लंबे समय से कांग्रेस का कब्जा है।प्रदेश में दूसरी पारी खेलने के लिए भाजपा ने इस बार नए और युवा चेहरों पर भरोसा जताया है। इसके लिए भाजपा ने अपने कुछ विधायकों के टिकट काटने में भी गुरेज नहीं किया। वहीं टिकटों के बंटवारे में कांग्रेस का युवाओं पर भरोसा कम नजर आया। यही कारण है कि पार्टी का युवा वर्ग प्रदेश नेतृत्व और राहुल गांधी से खासा नराज है।

कांग्रेस ने इस चुनाव में दो दर्जन से ज्यादा नए चेहरों को मैदान में तो उतारा लेकिन इसमें दस युवा ही अपनी जगह बनाने में सफल रहे। ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी युवाओं से ज्यादा उन नेताओं पर भरोसा कर रही है, जो लंबे समय से क्षेत्र की जनता के बीच रहे हैं और पार्टी के लंबे समय से झंडाबदर हैं।कांग्रेस में युवा के नाम पर युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष योगेश तिवारी को रायपुर से टिकट मिल सका, वहीं प्रीति नेताम, राम दयाल उइके सहित 10 युवाओं पर ही पार्टी ने भरोसा जताया। लेकिन भाजपा ने इससे इतर पार्टी की युवा ईकाई भाजयुमो पर पूरा भरोसा दिखाया और 20 युवा नेताओं को टिकट दिया। भाजपा ने अंबिकापुर से भाजयुमो के नेता अनुराग सिंह देव पर भरोसा जताया, तो सच्चिदानंद उपासने को रायपुर से टिकट से नवाजा। प्रदेश में नए चेहरों की बात की जाए तो कांग्रेस ने रायपुर शहर की चार में से तीन सीट पर नए चेहरों को तरजीह दी है। यहां से पार्टी ने कुलदीप जुनेजा, संतोष अग्रवाल और योगेश तिवारी को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने अपने पिछले धुरंधरों को ही इनके मुकाबले में उतरा है। प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा आलाकमान के सामने युवाओं ने मजबूत दावदारी रखी, लेकिन पार्टी ने 'ओल्ड इज गोल्डज् की तर्ज पर उनकी भावनाओं को दरकिनार कर दिया।

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