Wednesday, March 9, 2016

ट्राइबल ट्रैक पर उतरी रमन की गाड़ी

बस्तर और सरगुजा की सिर्फ छह सीट पर हैं भाजपा विधायक मृगेंद्र पांडेय छत्तीसगढ़ के बजट में मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने बता दिया कि अगले तीन साल सरकार की दिशा किस तरफ रहेगी। बजट में सरगुजा और बस्तर पर गोपनीय तरीके से नजरे इनायत की गई। सीएम ने बजट भाषण में कहा कि यह बजट गांव गरीब और किसानों के दिल का बजट है। लेकिन उनका दिल खुद इस बात को मानने को तैयार नहीं है। तीन महीने से बजट बनाने में जुटी सरकार ने जिस तरह से क्षेत्रों के विकास पर फोकस किया है। वह कांग्रेस के राजनीतिक पंडितों के लिए चिंता का विषय हो सकता है। सरकार सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा सहित बस्तर के सभी जिलों में नक्सलवाद के नाम पर आ रहे करोड़ों स्र्पए तो खर्च कर रही है, लेकिन अब सरकार ने प्राथमिकता साफ कर दिया। सुकमा और बीजापुर में एजुकेशन सिटी बनाई जाएगी। नक्सल प्रभावित जिलों के तीन हजार युवाओं को पुलिस में नौकरी दी जाएगी। पहले से ही पचास हजार जवान नक्सलवाद खत्म करने के नाम पर जंगलों में हैं। इसके साथ ही जगदलपुर में अब हवाई पट्टी भी बनाई जाएगी। सरकार को आदिवासी क्षेत्रों पर फोकस करना चाहिए। विकास की मुख्य धारा से उनको जोड़ना जरूरी है। लेकिन किसी खास राजनीतिक मकसद से उठाया गया कदम हमेशा से ही सवालों के घेरे में रहता है। बजट के बाद कांग्रेस की तरफ से जो प्रतिक्रिया आई, वह बेहद सतही रही। ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस के एक-दो विधायक बजट भाषण के दौरान जागे हुए थे, नहीं तो बाकी की नींद ही नहीं ूटूटी है। कांग्रेस को सोचना होगा कि जिस झीरम घाटी कांड में अपने बड़े नेताओं को गंवाया है। जिस कांड के बाद बस्तर की जनता ने उन्हें आंखों पर उठाया और आठ विधायकों को विधानसभा में पहुंचाया। उनकी दखल को कमजोर करने के लिए अब सरकार खुद उतर गई है। पिछले कुछ महीने से बस्तर में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और आला अफसर दौरा कर रहे थे। सीएस ने तो 25 स्र्पए किलो में इमली भी खरीदी। और जब वहां से लौटे तो लगता है सरकार के मुखिया से कह दिया कि अब हवा-हवाई वादों से कुछ नहीं होगा। कुछ ऐसा करना होगा, जिससे आदिवासियों में सरकार के प्रति विश्वास पैदा होगा। आदिवासियों के विश्वास को बढ़ाने के लिए ही रमन सरकार ने इस बजट में ढेर सारे प्रावधान उनके लिए किए। आदिवासियों को मुख्यधारा की पटरी पर लाने के लिए अब सड़क बनाई जाएंगी। स्कूलों की बिल्डिंग सुधारी जाएंगे। नौकरी दी जाएंगी। विधानसभा में उन्होंने कहा भी कि गांव, गरीबों और छत्तीसगढ़ की ढाई करोड़ जनता ने उनको दसवीं बार बजट पेश करने का मौका दिया। जब किसी कांग्रेसी विधायक ने टोका तो यह कहने से भी नहीं चूके कि इस जीत में आप लोगों का भी हाथ है। आने वाले समय में इस उम्मीद के साथ सरकार काम कर रही है कि बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी क्षेत्र से सत्ता की चाभी निकले। अभी तीन साल हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह मान लिजिए कि सरकार की चौथी पारी के लिए रमन ने बजट के माध्यम से तीन साल पहले ही शुस्र्आत कर दी है।

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