Thursday, October 6, 2011

अब बदले तो जग बदले

कहां हैं पटेल की टीम में उनके लोग

मृगेंद्र पांडेय

छत्तीसगढ में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल ने कर दिया। छोटी और सबको खुश करने वाली कार्यकारिणी बनाकर पटेल ने यह संकेत देने की कोशिश की कि वे किसी से टकराव लेने के मूड में नहीं हैं। चुपचाप शांतिपूर्वक पूरे प्रदेश में पहले अपना जनाधार बनाया जाए फिर पूरी तरह से अपनी टीम बनाई जाए। यही कारण है कि पटेल की कार्यकारिणी में एक भी उनका आदमी नहीं है। उपाध्यक्ष और महासचिव में किसी भी नेता को पटेल का शार्गिद नहीं कहा जा सकता। तो क्या पटेल की यह कार्यकारिणी वरिश्ठ नेताओं के दबाव में बनाई गई कार्यकारिणी कही जाएगी। क्या पटेल बिना कोई रिश्क लिए प्रदेश अध्यक्ष बने रहना चाहते हैं।

जब तक नंदकुमार पटेल वरिश्ठ नेताओं के दबाव से बाहर नहीं आएंगे, तब तक वे प्रदेश में सुस्त पडी कांग्रेस में जान नहीं डाल सकते। इन्ही नेताओं के कारण पार्टी का बेड गर्क हुआ है। अगर ये वरिश्ठ नेता इतने ही काबिल होते तो आदिवासी क्षेत्र, जो कभी कांग्रेस का गढ माना जाता था, वहां पार्टी को चार सीट निकालने के लिए संघर्श करना पडता। पटेल ने इससे पहले जिलाध्यक्षों की घोशणा में भी सभी नेताओं को साधने का प्रयास किया। बाकी जिलाध्यक्ष की घोशणा इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि ये नेता अपने लोगों को बनाने के लिए दबाव बनाए हुए हैं। उपाध्यक्ष और महासचिव बनाने में पटेल ने विद्या भैया, जोगी, महंत और वोरा के बीच संतुलन साधा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चार गुटों में बंटी कांग्रेस में क्या पटेल कोई करिश्मा करके आने वाले समय में अपना कोई गुट बना पाते हैं।

राज्य गठन के बाद से प्रदेश कांग्रेस में तीन अध्यक्ष ऐसे बने जो अपना कोई गुट नहीं बना पाए। रामानुजलाल यादव, धनेंद्र साहू और सत्यनारायण शर्मा। ये तीनों अध्यक्ष अपने क्षेत्र में ही सिमट कर रहे गए। प्रदेश स्तर पर न तो उनकी टीम तैयार हुई, न ही उन लोगों ने कोई टीम बनाने के लिए संघर्श ही किया। इसका परिणाम यह हुआ कि लंबे समय से जो चार गुट प्रदेश में चले आ रहे थे, वहीं बरकरार रहे। श्यामचरण शुक्ल की मौत के बाद उनके बेटे अमितेश शुक्ला विधायक तो बन गए, लेकिन अपने पिता की वसीयत को संभाल नहीं पाए। अब नंदकुमार पटेल के सामने भी यही संकट है। इस संकट को पटेल शुरुआती दिनों में ही पहचान लेंगे तो अपना कार्यकाल पूरा करते-करते प्रदेश स्तर के नेता और प्रदेश स्तर की अपनी टीम बनाने में जरुर सफल हो जाएंगे।

यह लेख लिखने के बाद ही जानकारी मिली कि प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे रामानुजलाल यादव का निधन हो गया है। भगवान उनके परिजनों को शोक की घडी में सांत्वना प्रदान करें।

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