राजभवन का पत्र कलेक्टोरेट की फाइलों में गुमा
मृगेंद्र पांडेय
आर्थिक तंगी के चलते अपने 24 साल के बेटे का इलाज न करा पाने के कारण एक मां आज उसे गोद में उठाकर दर-दर भटकने को मजबूर है। राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री व विधायक, सभी के दरवाजों पर उसने अपना दुखड़ा सुनाया, पर कहीं से उम्मीद की किरण नहीं दिखाई दी। कुछ दिनों पहले राजभवन से कलेक्टोरेट एक पत्र आया था, जिसमें उसकी मदद की बात कही गई है, लेकिन वह पत्र भी फाइलों में दबकर कहीं गुम हो गया है। वह मां अब बेटे का इलाज छोड़कर उस पत्र की खोज में जुट गई है।
राजिम के पास कोपरा गांव की रहने वाली सकुन बाई अपने बेटे गोविंद साहू को लेकर कलेक्टोरेट में आफिस दर आफिस भटक रही है। गुरुवार को वह कलेक्टर से मिलने आई थी, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। गोविंद को हड्डी संबंधी कोई बीमारी है। इससे उसकी लंबाई डेढ़ फीट से ज्यादा नहीं बढ़ी। वजन भी सिर्फ दस किलो ही है। वह न तो खुद खाना खा सकता है, न ही अपना कोई काम कर सकता है। हालांकि उसका दिमाग पूरी तरह ठीक है और उसने कक्षा पांचवीं तक की पढ़ाई भी की है।
पिता की मौत के बाद टूट गया परिवार
गोविंद के पिता की मौत के बाद यह परिवार पूरी तरह टूट गया है। छह भाई-बहन के इस परिवार में गोविंद और उसकी एक बहन इस रोग से पीडि़त हैं। पिता सेवाराम ही घर का खर्च चलाते थे। उनकी मौत के बाद सकुन बाई रोजी-मजदूरी करके किसी तरह बच्चों को पाल रही है।
इनके दरों पर कर चुकी फरियाद
बेटे के इलाज को लेकर सकुन बाई अब तक कई बड़े नेताओं से मिल चुकी है। उसने बताया कि छह माह पहले वह राज्यपाल से मिली थी। मुख्यमंत्री रमन सिंह को दो बार ज्ञापन सौंप चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, सांसद चंदूलाल साहू, कांग्रेस अध्यक्ष धनेंद्र साहू और मोतीलाल साहू ने भी मुलाकात के दौरान सिर्फ आश्वासन दिया।
कोई तो मेरी मदद करो
गोविंद ने कहा कि मैं किसी नेता-मंत्री के काम का नहीं हूं, इसलिए कोई मेरी मदद नहीं करता। मेरा नाम वोटर लिस्ट और राशनकार्ड में नहीं है। नेताओं के चक्कर काटने पर भी कुछ नहीं हुआ। सरकार से सिर्फ एक ही गुजारिश है कि मेरी मदद करे। मेरा इलाज करा दे, पालन-पोषण के लिए सहयोग करे।
No comments:
Post a Comment