Tuesday, June 9, 2009

तैयार हो रहा है विपक्ष

मृगेंद्र पांडेय

लोकसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा की चुप्पी ने लोगों को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया था कि अब विपक्ष की भूमिका कौन निभाएगा। पिछली सरकार में वाम दल भले ही सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे थे, लेकिन विपक्ष की भूमिका में भी वही थे। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। अब करारे तरीके से विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पाने के बाद इस बात की कयास लगाई जाने लगी थी कि अब विपक्ष समाप्त हो गया।

लोकसभा में कार्यवाही के दौरान जिस तरह से भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने न केवल पार्टी का पक्ष रखा, बल्कि सरकार पर धावा बोला, इससे पहली बार लगा कि अब विपक्ष तैयार हो रहा है। महिला आरक्षण हो या फिर देश में एम्स बनाने का मामला सुषमा ने अपनी बात जमकर रखी। महिला आरक्षण के मुद्दे पर सुषमा ने कहा कि जब वह संसदीय कार्यमंत्री थीं, तो उन्होंने बिल को बहस के लिए लगा दिया था। लेकिन सरकार सौ दिन में जिस महिला आरक्षण की बात कह रही है, दरअसल वह छलावा है। सुषमा ने कहा कि सरकार ने सौ दिन में महिला आरक्षण का कोई वादा नहीं किया है। सरकार ने तो सिर्फ यह कहा है कि महिला आरक्षण लाना उनकी प्राथमिकता है। अगर उस मुद्दे पर एक भी बहस हो जाती है तो उनके सौ दिन के एजेंडा में शामिल महिला आरक्षण का वादा पूरा हो जाता है।
केंद्र-राज्य के संबंधों के बारे में सुषमा ने केंद्र की कांग्रेस सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया।

सुषमा ने कहा कि जब वह मंत्री थीं, उन्होंने चिकित्सा की दृष्टि से पिछड़े छह राज्यों में एम्स के निर्माण का प्रस्ताव रखा था। उसमें पांच राज्य कांग्रेस शासित थे और एक उड़ीसा एनडीए शासित। लेकिन सरकार ने उस एम्स के निर्माण के बारे में एक भी लाइन अपने सौ दिन की कार्ययोजना में शामिल नहीं किया है। मध्यप्रदेश के साथ हो रहे भेदभाव पर सुषमा ने कहा कि प्रदेश बिजली संकट से जूझ रहा है। प्रदेश के मुखिया केंद्र से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन केंद्र सहयोग को तैयार नहीं हो रहा है। मध्यप्रदेश का कोयला व्यापारियों को बेचा जा रहा है और प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार बाहर से कोयला मंगाने की बात कह रही है।

सुषमा ने सरकार को कई और मुद्दों पर घेरा। इसे विपक्ष के तैयार होने के रूप में देखा जा सकता है। अगर विपक्ष आठ दिन चले संसद सत्र को तैयार होने में लगा भी देता है तो उसे देर नहीं मानी जाएगी। लेकिन भाजापा अगर संसद की अगली बैठक में खुद को तैयार करने में समय काटेगी तो यह जनता न तो बर्दाश्त करेगी, न ही भाजपा को माफ।

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