लोकशाही एक साल का हो गया है। पहली वर्षगांठ बधाई देने का अवसर भी है और आत्ममूल्यांकन का भी। बधाई इस संदर्भ में कि रोटी-दाल की व्यस्तता के बीच हम इसे सक्रिय रख पाए हैं(इस हम में मृगेंद्र का हिस्सा ज्यादा है), और आत्ममूल्यांकन का इसलिए क्योंकि कहीं ना कहीं लोकशाही व्यासायिक मोर्चे पर कमजोर होता दिख रहा है। गंभीर कन्टेंट की जो बात धूलिया जी ने की थी, वो तो जरूरी है ही, लेकिन लोकशाही में तमाम और चीजों का ध्यान हमें रखना होगा। कुछ ऐसी बातें/खबरें/सामग्री हमें इसमें जोड़नी होगी, जो इसे बाकियों से अलग करती हो...वरना ब्लॉग्स की कमी नहीं है।सामाजिक सरोकार के साथ साथ व्यावसायिक संतुलन...अगर वाकई हमें लोकशाही को गंभीर और इन्क्लूसिव बनाना हैतो इस फॉर्मूले को गंभीरता से अमल में लाना होगा।आप सभी को बधाई और शुभकामनाएं
विवेक शुक्ला
2 comments:
बधाई और शुभकामना ।
बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
Post a Comment