-बस्तर लोकसभा चुनाव में जोगी का प्यादा फिर हारा
-नई कार्यकारिणी में पुराने चेहरे, विवाद की स्थिति
-संभले नहीं तो मिषन 2013 षुरु होने से पहले होगा फेल
मृगेंद्र पांडेय
छत्तीसगढ की राजनीति में एक नया बदलाव दस्तक देने की तैयारी में हैै। बस्तर लोकसभा उपचुनाव में हार के बाद कांग्रेस की प्रदेष कार्यकारिणी अटक गई है। प्रदेष अध्यक्ष नंदकुमार पटेल भारी तनाव में है। उम्मीद थी कि चुनाव का परिणाम कांग्रेस में एक नई उर्जा लाएगा, लेकिन हार ने जोष को ठंडा कर दिया। कार्यकारिणी में टाप 30 लोगों को षामिल करने और उसे अंतिम रुप देने के लिए दिल्ली दरबार में माथा टेकने पहुंचे थे, लेकिन सब फेल हो गया। अब नए सिरे से तैयारी करके आना पडेगा।
आला कांग्रेसी नेताओं की मानें तो नंदकुमार पटेल ने जो सूची आलाकमान को सौंपने की तैयारी की है, वह काफी विवादास्पद है। बताया जा रहा है कि इसमें वोरा और विद्या खेमे के चूके हुए कारतूसों का नाम भर दिया गया है। कुल मिलाकर जिस नई टीम की उम्मीद पटेल से की जा रही थी, वह पहली सूची में नजर नहीं आ रही है। आगे का हाल क्या होगा, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। नंदकुमार के अध्यक्ष बनने के बाद से इस बात की उम्मीद जगी थी कि युवा और उर्जावान कांग्रेसियों की नई टीम बनाएंगे। एक ऐसी टीम जो 2013 में रमन सिंह के भगवा रथ को रोक सके। नहीं तो रमन सिंह भी तरुण गोगोई, षीला दीक्षित की तरह लगातार तीसरी पारी खेलने वाले खिलाडी हो जाएंगे।
एक अनुमान के अनुसार प्रदेष के अगले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कई बडे नेता अपनी अंतिम पारी खेल चुके होंगे। माना जा रहा है कि विद्याचरण षुक्ल, मोतीलाल वोरा सक्रिय राजनीति से उम्र के कारण दूर हो जाएंगे। अजीत जोगी को टक्कर देने के लिए पूरी कांग्रेस एक हो जाएगी। क्योंकि राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कांग्रेस की इस हालत के सबसे बडे जिम्मेदार अजीत जोगी है। अजीत जोगी की अलगाववादी नीतियों के कारण कांग्रेस के परंपरागत वोट दूर हो गए। नगरीय निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव, और उपचुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पडा। बस्तर उपचुनाव के लिए उम्मीदवार कवासी लखमा भी जोगी की पसंद थे। इसके कारण बस्तर टाइगर और जोगी के विरोधी महेंद्र कर्मा गुट ने अंदरुनी तौर पर अपने को चुनाव से अलग कर लिया। इसका यह असर हुआ कि युवा से लेकर आदिवासी वोटर लखमा से अपने को जोड नहीं पाया। महेंद्र कर्मा का बेट बंटी कर्मा बस्तर लोकसभा युवक कांग्रेस का अध्यक्ष है। युवाओं की जिस टीम के दम पर अमित जोगी प्रचार कर रहे थे, उसमें से स्थानीय मतदाताओं को जानने और उन पर पकड रखने वाले एक भी नेता नहीं थे।
युवक कांग्रेस और एनएसयूआई के चुने हुए चेहरे बस्तर टूर के नाम पर आए और बस्तर की सुनहरी वादियों में रायपुर की गर्मी से बचकर मौज मनाए और चले गए। ऐसे में नंदकुमार एक बार फिर उन्हीं लोगों पर दाव लगाएंगे तो यह तय है कि कांग्रेस का मिषन 2013 षुरु होने से पहले ही बंद हो जाएगा। एक अच्छी बात प्रदेष कांग्रेस के नेताओं के लिए है कि पष्चिम बंगाल में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। इससे थोडा सीख लेने की जरुरत है।
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