Wednesday, July 8, 2009

गतिहीन ममतामई रेल

मृगेंद्र पांडेय

ममता का रेल बजट इस कदर गतिहीन है कि वह न तो देश को आगे ले जाने वाला है न ही रेल को। महज चंद रेलगाड़ियों को चलाना अगर रेल बजट होता है तो ममता ने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया। लेकिन जब हम इससे आगे की सोचते हैं तो हमें गौर करना होगा की दीदी की नजर कहां है। उनके सपने क्यां है। उनकी सोच कहां तक जाती है। क्या उनके पास देश और रेल दोनों को आगे ले जाने वाली सोच है या फिर उन्हें सिर्फ और सिर्फ लालगढ़ और सिंगूर ही नजर आ रहा है। ममतामई बजट पेश करने की हर रेल मंत्री कोशिश करता है, लेकिन ऐसे समय जब देश में मंदी हो, लोगों को उम्मीद होती है कि आधारभूत संरचना के विकास के लिए कुछ कदम उठाए जाएंगे, जो करने में ममता असफल रहीं है।

ममता ने कुछ चीजों को पूरी तरह से छोड़ दिया। आम तौर पर पढ़े-लिखे कलाकारों, साहित्यकारों की पार्टी की मुखिया होने के नाते ममता से यह उम्मीद की जा सकती है कि उनकी सोच में कुछ नयापन होगा, लेकिन ऐसा कुछ नजर नहीं आया। पैसा कहां से आएगा और कहा जाएगा इसकी बात अगर छोड़ भी दी जाए तो ममता ने कम से कम युवा पीढ़ी को इस बात की उम्मीद तो थी ही की वह कुछ ऐसा करेंगी जो उनके लिए मददगार होगा। ममता ने युवा एक्सप्रेस चलाकर यह बताने की कोशिश की कि उनकी नजर युवाओं पर है, लेकिन क्या सिर्फ इतने से युवाओं को संतोष होगा। देश की 50 फीसदी से ज्यादा आबादी युवा है और अनुमान लगाया जा रहा है कि 2020 तक भारत की औसत उम्र 29 साल होगी। ऐसे में ममता के बजट ने युवाओं को निराश ही किया।

युवाओं को रोजगार से मतलब है। आज का युवा इंटरनेट का भरपूर उपयोग करता है। आज के युवा के पास समय भी कम है, क्योंकि वह सबकुछ जल्दी पाना चाहता है। क्या बजट बनाते समय दीदी की नजर में ये बातें थी, अगर थी तो उसकी झलक क्यों नजर नहीं आई। ममता ने भविष्य के लिए नई योजना के बारे में कोई पहल नहीं की। लालू के समय में बुलेट ट्रेन शुरू करने पर काम किया जा रहा था। ममता ने उसका जिक्र तक नहीं किया। ‘एज् ग्रेड शहरों में मेट्रो शुरू करने की बात कही जा रही थी, लेकिन वह योजना भी ठंडे बस्ते में पड़ी रही। रेल पटरियों का जाल भले ही देश भर में हो लेकिन उनकी गुणवत्ता को सुधारने, ट्रेनों की रफ्तार को बढ़ाने के लिए पटरियों को उसके हिसाब से बनाने और सबसे महत्वपूर्ण रेलगाड़ियों को समय से पहुंचाने के बारे में कोई उपाय नजर नहीं आया।

यहां यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि ममता की कई योजनाएं काफी अच्छी है। जसे दूरंत, इज्जत लेकिन इन मुद्दों को भी जोड़ा जाना चाहिए था।

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