Wednesday, April 21, 2010

बापू की पोती मिलना चाहती है नक्सलियों से!

नक्सल के लिए सरकार के साथ समाज है बराबर का जिम्मेदारः तारा देवी भट्टाचार्य

अनिल पुसॊदकर

बापू की पोती तारा देवी भट्टाचार्य छत्तीसगढ आई। वे यहां बापू के जीवन पर कस्तुरबा आश्रम मे लगी प्रदर्शनी का उद्घाटन करने आई थी। वे प्रेस क्लब भी आई और उन्होने समाज मे हो रहे बदलाव पर बेबाक राय व्यक्त की।उन्होने नक्सली हिंसा पर दुःख जताया और कहा कि वे उनसे मिलना चाहती है।नक्सली हिंसा के लिये उन्होने सरकार के साथ-साथ व्यवस्था और समाज को बराबर का ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होने साफ़ कहा कि इस समस्या के लिये समाज मे व्याप्त विसंगतियां भी उतनी ही ज़िम्मेदार है जितनी सरकार।

बापू की पोती ने नक्स्ली हिंसा मे बेघर-बार हो रहे बच्चों को भी सहारा देने के लिये बा का घर,कस्तुरबा ट्रस्ट की ओर से पहल करने की बात कही।बापू पर भी खुल कर बोली तारा देवी।बापू की प्रासंगिकता पर पूछे गये सवाल पर उन्होने कहा कि बापू प्रासंगिक थे,हैं और रहेंगे।बापू के नाम पर राजनीति और कांग्रेस के उसपर एकाधिकार जताने पर उनका कहना था बापू सबके हैं और उनके नाम पर जितनी राजनिती हुई उसका अंशमात्र भी अगर समाज उनके विचारों पर अमल करता तो आज तस्वीर दूसरी होती।आज की युवा पीढी के सामने आदर्श का अभाव होने के सवाल पर उन्होने उलट सवाल किया कि तब बापू के सामने कौन आदर्श था।ये सब भटकाव को सही ठहराने के बहाने है।
उन्होने कहा कि हमने बापू को समझा लेकि जीवन मे उतारा ही नही।उन्होने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र मे हमसे चूक हुई विनोबा और जयप्रकाश के विचारों से हम अपने बच्चों को अवगत नही करा पाये।

बापू को किताबो से बाहर लाकर विचारों मे शामिल करने की उन्होने ज़रूरत बताई।लगे रहो मुन्नाभाई फ़िल्म पर उन्होने कहा कि अच्छी फ़िल्म है और जिस भी माध्यम से लोग बापू को जाने-पहचाने,समझे तो बुरा क्या है।उन्होने फ़िल्मों को अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बताया।उन्होने कहा कि हम अपने-अपने डर से सुरक्षा के लिये बंदूकधारी गार्ड रख रहें है जबकि आज ज़रूरत बंदूक की नही बंधु की है।

अमीर धरती गरीब लोग ब्लाग से साभार

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