आनंद प्रधान
इस समय जब पूरा देश नए साल और हमारा मीडिया नए दशक के स्वागत में बावला हुआ जा रहा है, मुझसे इस स्वागतगान के बेतुके और कुछ हद तक अश्लील कोरस में शामिल नहीं हुआ जा पा रहा है। मैं आपका नया साल ख़राब नहीं करना चाहता लेकिन क्या करूँ, मानसिक रूप से कल से ही बहुत परेशान हूँ।
सवाल यह है कि क्या कोई इस कड़ाके की ठण्ड में सिर्फ एक कम्बल के लिए किसी की जान ले सकता है? बात बहुत छोटी सी लगती है या कम से कम ऊपर से ऐसी दिखती है। हालांकि बात इतनी छोटी भी नहीं है। पर दिल्ली के अधिकांश अख़बारों ने उसे इसी तरह देखा। उनके लिए यह एक कालम की अपराध डायरी जैसी छोटी सी खबर थी, जो अन्दर के पन्नों पर रूटीन खबर की तरह डाल दी गई थी।
पता नहीं आपने दिल्ली के लगभग सभी अख़बारों में अन्दर के पन्नों पर छपी उस खबर को पढ़ा या नहीं लेकिन मैंने जब से पढ़ी है, नए साल का जश्न अश्लील सा लगने लगा है। खबर कुछ इस तरह से है- 27 और २८ दिसंबर की रात जब दिल्ली ठण्ड से कांप रही थी और पारा ५ डिग्री तक लुढ़क गया था, देशबंधु गुप्ता रोड इलाके में सोनू नामके एक १५ वर्षीय लडके की हत्या कर दी गई थी। वह दिल्ली में सड़क पर बीडी-सिगरेट आदि का एक छोटा खोका लगाकर गुजर-बसर करता था। वह सड़क पर ही सोता भी था। ठण्ड से बचने के लिए उसने एक नया कम्बल ख़रीदा था। लेकिन हत्या के बाद कम्बल गायब था।
पुलिस जाँच में यह बात सामने आई है कि उस इलाके में एक और बेघर श्रवण के पास कल से नया कम्बल दिख रहा है। पुलिस ने उसे पकड़कर पूछताछ की तो पता चला कि उस रात कड़ाके की ठण्ड से बचने के लिए उसे कोई ठौर नहीं मिल रहा था। उसके पास कम्बल भी नहीं था। ठण्ड बर्दाश्त से बाहर थी। श्रवण ने रात में सोनू का कम्बल उठाने की कोशिश की. लेकिन सोनू जग गया। इसके बाद श्रवण ने उस कम्बल के लिए पत्थर मारकर सोनू की हत्या कर दी। श्रवण को सोनू की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया है और वह जेल में है।
कहानी सिर्फ इतनी सी है। लेकिन मेरे लिए यह तय करना मुश्किल हो गया है कि मैं किसे अपराधी मानूं? क्या नया कम्बल खरीदना सोनू का गुनाह था? या हाड़ कंपानेवाली ठण्ड से बचने के लिए कम्बल हथियाने की कोशिश में हत्या तक कर देनेवाले श्रवण को अपराधी मानूं?
उम्मीद है कि उसे जेल में एक ठीक-ठाक कम्बल जरूर मिल गया होगा। यह भी कि अब उसे दोनों जून खाना भी मिल जाता होगा। हमारी-आपकी तरह न सही लेकिन श्रवण को कड़ाके की ठण्ड से कुछ राहत जरूर मिल गई होगी।
क्या आप बता सकते हैं कि अपराधी कौन है? मुझे तो लगता है कि अपराधी हम सब हैं जिन्होंने खुद की ठण्ड से आगे देखना और सोचना बंद कर दिया है ।
1 comment:
इतना मार्मिक वृतांत और उस केवल एक टिपण्णी. अफ़सोस, लेकिन ये हमारी मरी हुई मानवीय संवेदनाओं को परिभाषित करता है.
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