Wednesday, January 30, 2008

चल झूठे कहीं के...

आजादी के लिए
लाखों मरे,
लोग सुनकर
कहते हैं- अरे !

यहां थे समंदर
दूध-दही के,
चल झूठे कहीं के.

दिल दाएं
दिमाग बाएं
हम कहां जाएं ?

नेता !
यार किसके ?
वोट मिला
और खिसके.

यह सारा
देश हमारा है,
लेकिन हम
बेरोजगार, बेसहारा हैं.

हम जिनको
चुनते हैं,
वो हमको
धुनते हं.

‘मेड फॉर ईच अदर’
प्रतियोगिता में
सबसे अच्छा
जोड़ा जो ठहरा,
उसमें पत्नी थी गूंगी
पति था बहरा.

राजेंद्र श्रीवास्तव

Monday, January 21, 2008

मेरी आवाज सुनो....

यह सिर्फ अन्नू कपूर के शो का नाम नहीं है.

मेरे जैसे लोगों के लिए भी यह उतना ही सटीक है जितना उन लोगों के लिए था जो उस शो में पहली बार गा रहे थे.

मैं भी कुछ गाना चाहता हूं, दूसरी तरह की गीत. गुनगुनाना चाहता हूं, कुछ दूसरे तरह के बोल.

पहली पोस्ट है, इसे खुद को खुश रखने और दिलासा देने के लिए चस्पा कर रहा हूं कि मैं भी ब्लॉग की दुनिया में कोई चीज बन गया हूं.